चाँदनी रात का सपना (Chandni Raat Ka Sapna Story in Hindi)

chandni raat ka sapna kahani in hindi



चाँदनी रात का सपना (Chandni Raat Ka Sapna Story in Hindi)

एक छोटे से गाँव में रहता था नन्हा टिंकू। टिंकू की उम्र भले ही सात साल की थी, लेकिन उसके सपने आसमान से भी ऊँचे थे। हर रात वो अपनी छोटी सी खिड़की से चाँद को देखता और सोचता, "काश! मैं चाँद पर जा पाऊँ। वहाँ क्या होगा? शायद चाँदनी की नदियाँ बहती होंगी या शायद वहाँ कोई जादुई दुनिया होगी।"

एक चाँदनी रात को, जब गाँव सो रहा था और हवा में हल्की ठंडक थी, टिंकू को नींद नहीं आ रही थी। वो अपनी चारपाई पर लेटा चाँद को ताक रहा था। तभी उसे लगा कि चाँद की रोशनी उसकी खिड़की से अंदर आ रही है—और वो कोई साधारण रोशनी नहीं थी। वो चमकती हुई, हिलती-डुलती सी लग रही थी, जैसे कोई उसे बुला रही हो।

टिंकू ने अपनी आँखें मलीं, "अरे! ये क्या? सपना देख रहा हूँ क्या?" उसने उठकर खिड़की के पास जाकर देखा। चाँद की रोशनी अब एक सीढ़ी की शक्ल ले चुकी थी, जो उसके कमरे से शुरू होकर आसमान तक जा रही थी। टिंकू का दिल जोर-जोर से धड़कने लगा।

"मम्मी को बुलाऊँ?" उसने सोचा, लेकिन फिर हिम्मत करके बोला, "नहीं, ये मेरा मौका है। मैं चाँद पर जाऊँगा!"

उसने अपनी चप्पलें पहनीं, एक पुरानी शाल ओढ़ी और उस चमकती सीढ़ी पर कदम रख दिया। पहला कदम रखते ही उसे लगा कि वो हवा में तैर रहा है। "वाह! ये तो मस्ती है!" टिंकू चिल्लाया। सीढ़ियाँ मुलायम थीं, जैसे रुई के बादल हों। ऊपर चढ़ते-चढ़ते वो चाँद के पास पहुँच गया।

चाँद पर कदम रखते ही टिंकू की आँखें चमक उठीं। वहाँ सब कुछ सफेद और चमकीला था। दूर-दूर तक चाँदनी की चादर बिछी थी, और छोटे-छोटे सितारे उछल-कूद रहे थे। तभी एक नन्हा सितारा उसके पास आया और बोला, "हाय! तू कौन है? यहाँ इंसान तो कभी नहीं आते!"

टिंकू हँसा, "मैं टिंकू हूँ। मैं चाँद देखने आया हूँ। तुम लोग यहाँ क्या करते हो?"

सितारा चहकते हुए बोला, "हम खेलते हैं, नाचते हैं और चाँदनी की नदियों में नहाते हैं। चल, मैं तुझे दिखाता हूँ!"

सितारे ने टिंकू का हाथ पकड़ा और उसे एक चमकती नदी के पास ले गया। नदी का पानी चाँदनी से बना था, ठंडा और चमकीला। टिंकू ने उसमें हाथ डाला तो उसकी उंगलियाँ चमकने लगीं। "अरे! ये तो जादू है!" वो जोर से हँसा।

लेकिन तभी हवा में एक गहरी आवाज गूँजी, "कौन आया मेरे चाँद पर?" टिंकू घबरा गया। सामने से एक लंबा, सफेद कपड़ों वाला आकृति आई। उसकी दाढ़ी चाँदनी की तरह चमक रही थी।

"मैं... मैं टिंकू हूँ," टिंकू डरते हुए बोला।

वो आकृति हँसी, "डर मत, मैं चाँद का रखवाला हूँ। तू यहाँ कैसे आया?"

टिंकू ने सारी बात बताई। रखवाले ने मुस्कुराकर कहा, "ठीक है, तू यहाँ थोड़ी देर घूम सकता है, लेकिन सूरज निकलने से पहले वापस जाना होगा।"

टिंकू ने सितारों के साथ खूब मस्ती की। उसने चाँदनी की नदी में छप-छप की, सितारों के साथ दौड़ लगाई और एक जादुई फल खाया, जो चाँदनी से बना था। उसका स्वाद शहद जैसा था। लेकिन जैसे ही सुबह होने लगी, रखवाले ने कहा, "टिंकू, अब वक्त हो गया।"

टिंकू उदास हो गया, "क्या मैं फिर आ सकता हूँ?"

रखवाले ने हँसकर कहा, "जब भी चाँदनी रात में सपना देखेगा, यहाँ आ सकता है।"

फिर चमकती सीढ़ी दोबारा नजर आई। टिंकू नीचे उतरा और अपनी चारपाई पर पहुँच गया। सुबह उठते ही उसने सोचा, "क्या ये सच था या सपना?" लेकिन उसकी उंगलियों पर अभी भी चाँदनी की हल्की चमक थी। वो मुस्कुराया और बोला, "चाँदनी रात का सपना सच में जादुई था!"

उस दिन से टिंकू हर चाँदनी रात को खिड़की पर नजर रखता, शायद फिर से वो सीढ़ी नजर आए और वो अपने सितारा दोस्तों से मिल सके।

Post a Comment

0 Comments