छोटा साहसी और बड़ा खजाना (Chhota Sahsi aur Bada Khajana Hindi Kahani)
एक छोटे से गाँव में रहता था नन्हा साहसी, जिसका नाम था वीरू। वीरू छोटा था, लेकिन उसका दिल बहुत बड़ा था। गाँव के लोग उसे प्यार से "नन्हा शेर" कहते थे, क्योंकि उसकी हिम्मत किसी जंगल के राजा से कम न थी। एक दिन गाँव के बूढ़े दादाजी ने उसे एक पुरानी किताब दिखाई। उसमें लिखा था कि जंगल के बीचोंबीच एक बड़ा खजाना छिपा है, लेकिन उसे पाने के लिए साहस, बुद्धि और थोड़ा जादू चाहिए।
वीरू की आँखें चमक उठीं। उसने सोचा, "अगर मैं ये खजाना ढूंढ लाया, तो गाँव की सारी परेशानियाँ दूर हो जाएँगी।" उसने अपनी छोटी सी पोटली में रोटी, पानी और एक लाठी डाली, और चल पड़ा जंगल की ओर।
जंगल का पहला रोमांच
जंगल में घुसते ही हवा बदली। पेड़ों की शाखाएँ जैसे फुसफुसा रही थीं। अचानक एक बड़ा साँप रास्ते में आ गया। उसकी आँखें लाल थीं, और वो फुफकारते हुए बोला, "आगे बढ़ना है तो मेरी पहेली सुलझाओ, वरना लौट जाओ!"
वीरू डरा, लेकिन हिम्मत जुटाकर बोला, "ठीक है, बताओ अपनी पहेली!"
साँप ने कहा, "मैं वो हूँ जो उड़ता नहीं, पर आसमान में रहता हूँ। बताओ मेरा नाम!"
वीरू ने सोचा, फिर मुस्कुराया और बोला, "बादल!"
साँप हैरान हुआ और रास्ते से हट गया। "तू समझदार है, आगे बढ़!"
नदी का इम्तिहान
जंगल में आगे एक चौड़ी नदी थी। उसमें पानी तेज़ बह रहा था, और कोई पुल नहीं था। तभी एक बूढ़ी कछुई नदी किनारे बैठी दिखी। वीरू ने पूछा, "दादी, मैं नदी कैसे पार करूँ?"
कछुई हँसी और बोली, "मुझे एक गीत सुनाओ, मैं तुम्हें अपनी पीठ पर ले चलूँगी।"
वीरू को गाना नहीं आता था, लेकिन उसने हिम्मत की और जोर से चिल्लाया, "लाल सूरज, नीला आसमान, जंगल में मस्ती, सब है मेरा जहान!"
कछुई हँस पड़ी, "बेसुरा है, पर दिल से गाया। चल, बैठ जा!" और वीरू को नदी पार करा दिया।
खजाने का दरवाजा
नदी पार करते ही वीरू को एक गुफा दिखी। उसका दरवाजा पत्थर का था, और उस पर लिखा था, "सच्चाई ही चाबी है।" वीरू सोच में पड़ गया। तभी एक चमगादड़ उड़ता हुआ आया और बोला, "बता, तू यहाँ क्यों आया?"
वीरू ने सच कहा, "मैं खजाना ढूंढने आया, ताकि अपने गाँव की मदद कर सकूँ।"
अचानक पत्थर का दरवाजा खुल गया! चमगादड़ बोला, "सच बोलने की हिम्मत ही यहाँ की चाबी थी।"
बड़ा खजाना
गुफा के अंदर सोने-चाँदी के सिक्के, रंग-बिरंगे हीरे और एक जादुई लालटेन थी। लालटेन में से एक जिन्न निकला और बोला, "तूने साहस और सच से यहाँ तक का रास्ता बनाया। मुझसे एक चीज़ माँग!"
वीरू ने कहा, "मुझे इतना खजाना दो कि गाँव में कोई भूखा न रहे।"
जिन्न मुस्कुराया और बोला, "तेरा दिल ही असली खजाना है। ले, ये सब तेरा!" और गुफा से ढेर सारा खजाना गाँव तक पहुँच गया।
गाँव की खुशी
जब वीरू लौटा, गाँव वाले हैरान थे। खजाने से स्कूल बना, कुएँ बने, और सबके चेहरे पर मुस्कान लौट आई। वीरू को सब "छोटा साहसी" कहकर गले लगाते। उस रात गाँव में उत्सव हुआ, और वीरू ने सोचा, "खजाना ढूंढना आसान नहीं था, पर गाँव की खुशी इसके लायक थी।"
और इस तरह छोटे वीरू ने बड़ा कमाल कर दिखाया। जंगल अब भी उसकी कहानी फुसफुसाता है, और बच्चे उसकी हिम्मत की बातें सुनकर बड़े होते हैं।

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