शेर और चूहे की दोस्ती Animal Story in Hindi
जंगल के बीचों-बीच एक विशाल पेड़ के नीचे एक गुफा थी। उस गुफा में रहता था शेर, जिसे सभी जानवर "जंगल का राजा" कहते थे। उसका नाम था सूरज। सूरज की दहाड़ इतनी जोरदार थी कि जंगल के कोने-कोने तक उसकी गूंज सुनाई देती थी। उसकी ताकत और रौब के आगे बड़े-बड़े जानवर भी कांपते थे। लेकिन सूरज का दिल उतना ही बड़ा था जितना उसका शरीर। वह हमेशा अपने जंगल के जानवरों की रक्षा करता था और किसी को बेवजह परेशान नहीं करता था।
एक दिन सूरज अपनी गुफा में आराम कर रहा था। सुबह की शिकार की थकान अभी तक उसकी हड्डियों में बसी थी। सूरज की आँखें धीरे-धीरे बंद हो रही थीं कि तभी उसे अपने पैरों के पास कुछ हलचल महसूस हुई। उसने आँखें खोलीं तो देखा कि एक छोटा सा चूहा, जिसका नाम था चिंटू, उसके पंजों के पास से गुजर रहा था। चिंटू अपने छोटे-छोटे पैरों से तेजी से भाग रहा था, जैसे उसे कोई जल्दी हो।
सूरज ने गहरी आवाज में पूछा, "ए छोटे, कहाँ जा रहा है तू इतनी जल्दी?"
चिंटू डर के मारे थर-थर कांपने लगा। उसने सिर उठाकर शेर को देखा और हकलाते हुए बोला, "महा... महाराज, मैं... मैं अपने घर जा रहा हूँ। मेरा परिवार मुझसे बिछड़ गया है और मुझे उन्हें ढूंढना है।"
सूरज को चिंटू की बात सुनकर हंसी आ गई। उसने कहा, "अरे, इतना छोटा सा जानवर और इतना बड़ा काम? तू तो मेरे एक पंजे के नीचे दब जाएगा। चल, ठीक है, जा। लेकिन सावधान रहना, जंगल में खतरे बहुत हैं।"
चिंटू ने सिर झुकाया और तेजी से भाग गया। सूरज फिर से अपनी नींद में खो गया। उसे क्या पता था कि यह छोटा सा चूहा एक दिन उसकी जिंदगी में बड़ा बदलाव लाने वाला था।
कई दिन बीत गए। एक सुबह सूरज जंगल में शिकार के लिए निकला। वह एक हिरण का पीछा कर रहा था। हिरण तेजी से भाग रहा था और सूरज उसके पीछे-पीछे दौड़ रहा था। लेकिन अचानक उसका पैर एक जाल में फंस गया। यह जाल शिकारियों ने बिछाया था। सूरज ने पूरी ताकत लगाई, लेकिन जाल से निकल नहीं पाया। उसकी दहाड़ जंगल में गूंजने लगी, पर कोई उसकी मदद के लिए नहीं आया। शिकारी धीरे-धीरे उसके करीब आ रहे थे। सूरज समझ गया कि अब उसका अंत निकट है। उसने आँखें बंद कर लीं और अपने जंगल को याद करने लगा।
तभी उसे फिर से अपने पैरों के पास हलचल महसूस हुई। उसने आँखें खोलीं तो देखा कि वही छोटा चूहा, चिंटू, जाल के पास खड़ा था। चिंटू ने कहा, "महाराज, आपने मुझे उस दिन जाने दिया था। आज मैं आपकी मदद करूंगा।"
सूरज को चिंटू की बात पर यकीन नहीं हुआ। उसने कहा, "तू क्या करेगा, छोटे? यह जाल मेरे लिए भी भारी है।"
चिंटू ने मुस्कुराते हुए कहा, "महाराज, ताकत ही सब कुछ नहीं होती। कभी-कभी छोटी चीजें भी बड़े काम कर जाती हैं।" यह कहकर चिंटू ने अपने नन्हे दांतों से जाल को काटना शुरू कर दिया। वह तेजी से रस्सियों को चबाने लगा। सूरज हैरान था कि यह छोटा सा प्राणी इतनी मेहनत कर रहा है। कुछ ही देर में चिंटू ने जाल को इतना काट दिया कि सूरज उसमें से निकल सके।
जैसे ही सूरज आजाद हुआ, उसने एक जोरदार दहाड़ मारी। शिकारी डर के मारे भाग खड़े हुए। सूरज ने चिंटू की ओर देखा और कहा, "छोटे, तूने आज मेरी जान बचाई। मैंने कभी नहीं सोचा था कि एक चूहा मेरे लिए इतना बड़ा काम कर सकता है।"
चिंटू ने शर्माते हुए कहा, "महाराज, आपने मुझे उस दिन नहीं मारा, बल्कि जाने दिया। यह मेरे लिए आपकी कृपा थी। आज मैंने बस वही कर्ज चुकाया।"
सूरज ने चिंटू को अपने पंजे पर बिठाया और कहा, "आज से तू मेरा दोस्त है। जंगल में कोई तुझे परेशान नहीं करेगा।" चिंटू की आँखों में खुशी के आंसू छलक आए। उसने सोचा भी नहीं था कि जंगल का राजा उसका दोस्त बन जाएगा।
उस दिन से सूरज और चिंटू की दोस्ती पूरे जंगल में मशहूर हो गई। सूरज जब भी शिकार पर जाता, चिंटू उसके आसपास रहता। चिंटू की चतुराई और सूरज की ताकत मिलकर जंगल को हर खतरे से बचाते। एक बार की बात है, जब जंगल में आग लग गई। सूरज ने बड़े जानवरों को इकट्ठा किया और आग बुझाने की कोशिश की, लेकिन छोटे-छोटे रास्तों से आग फैल रही थी। तब चिंटू ने अपने चूहों के दोस्तों को बुलाया और छोटी-छोटी सुरंगों से मिट्टी डालकर आग को रोक दिया। सूरज ने चिंटू की पीठ थपथपाई और कहा, "देखा, छोटे, तू कितना बड़ा काम कर सकता है।"
धीरे-धीरे जंगल के बाकी जानवरों ने भी यह सीख लिया कि दोस्ती में आकार या ताकत मायने नहीं रखती। सूरज और चिंटू की जोड़ी हर मुश्किल में एक-दूसरे का साथ देती थी। एक दिन चिंटू का परिवार भी मिल गया। सूरज ने उन्हें अपनी गुफा के पास एक सुरक्षित जगह दी, जहाँ वे खुशी से रहने लगे।
समय बीतता गया, लेकिन उनकी दोस्ती कभी कम नहीं हुई। जंगल में जब भी कोई मुसीबत आती, सूरज की ताकत और चिंटू की चतुराई मिलकर उसे हल कर देती। एक बार शिकारियों ने फिर से जंगल में जाल बिछाया। इस बार चिंटू ने पहले ही सूरज को बता दिया। सूरज ने शिकारियों को जंगल से भगा दिया और चिंटू को गले से लगा लिया।
इस कहानी से जंगल के सभी जानवरों ने एक सबक सीखा कि दोस्ती का कोई मोल नहीं होता। चाहे कोई कितना भी बड़ा हो या छोटा, सच्ची दोस्ती हर मुश्किल को आसान बना देती है। सूरज और चिंटू की यह अनोखी जोड़ी जंगल की सबसे खूबसूरत मिसाल बन गई। और जंगल में यह कहावत मशहूर हो गई, "शेर की ताकत और चूहे की चतुराई, मिल जाए तो हर मुश्किल हो जाए भगाई।"
इस तरह सूरज और चिंटू की दोस्ती जंगल में हमेशा के लिए अमर हो गई। उनकी कहानी आज भी जंगल के हर कोने में सुनाई जाती है, जो यह सिखाती है कि सच्चा दोस्त वही है जो मुसीबत में साथ दे, चाहे वह कितना भी छोटा क्यों न हो।

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