50+ गांव की मजेदार कहानिया Village Stories in Hindi


#1. बिजली गायब, भूतों का डर Village Funny Horror Story in Hindi

Village Funny Horror Story in Hindi


गाँव की एक काली रात थी। आसमान में बादल घुमड़ रहे थे, और हवा में ठंडक थी। ठाकुर का गाँव, जो हमेशा शांत रहता था, आज अंधेरे में डूबा हुआ था। बिजली सुबह से गायब थी, और अब रात के नौ बज चुके थे। गाँव वाले अपने-अपने घरों में लालटेन और मोमबत्तियों के सहारे बैठे थे। लेकिन रामू और श्याम, दो दोस्त, चौपाल पर बैठे गप्पें मार रहे थे।


रामू: (लालटेन की रोशनी में हाथ सेंकते हुए) "श्याम, ये बिजली कब आएगी? दिन भर खेत में काम किया, अब रात में भी अंधेरे में बैठो।"

श्याम: (हँसते हुए) "अरे, बिजली तो बहाना है। असली बात ये है कि तू डर रहा है। सुनाई नहीं दे रहा, हवा में भूतों की साँय-साँय?"

रामू: (घबराते हुए) "क्या बकवास करता है! भूत-वूत कुछ नहीं होता। तू बस मुझे डराना चाहता है।"

श्याम: "अच्छा? तो फिर वो जो बरगद के पेड़ के पास रोशनी टिमटिमाती दिखती है, वो क्या है? बिजली तो गई हुई है न?"

रामू ने गर्दन घुमाकर बरगद की तरफ देखा। सचमुच, दूर अंधेरे में एक हल्की-सी रोशनी टिमटिमा रही थी। उसका दिल जोर से धड़कने लगा।

रामू: "ये... ये कोई जुगनू होगा। हाँ, जुगनू ही है।"

श्याम: (आँखें चमकाते हुए) "जुगनू? रात में इतनी ठंड में? अरे, वो तो चुड़ैल की लालटेन है। सुना है, जब बिजली जाती है, वो गाँव में घूमने निकलती है।"

तभी हवा का एक तेज झोंका आया, और लालटेन की लौ बुझ गई। अंधेरा और गहरा हो गया। रामू की साँसें तेज हो गईं।

रामू: (डरते हुए) "श्याम, अब मजाक बंद कर। चल, घर चलते हैं।"

श्याम: "अरे, डर गया क्या? अभी तो असली कहानी शुरू हुई है। सुना है, पिछले साल जब बिजली गई थी, चौधरी के खेत में एक सफेद साया देखा गया था।"

रामू: "साया? कौन साया?"

श्याम: "कौन होगा? वही पुरानी चुड़ैल, जो बिजली के खंभे पर बैठकर तार हिलाती है। इसलिए तो बिजली गायब रहती है।"

रामू अब पूरी तरह घबरा गया था। तभी दूर से एक अजीब-सी आवाज आई— "खट्ट... खट्ट..."। दोनों दोस्त एक-दूसरे की तरफ देखने लगे।

रामू: "ये... ये क्या था?"

श्याम: (हकलाते हुए) "शायद... शायद वो खंभे पर बैठ गई।"

अचानक, बरगद के पास की टिमटिमाती रोशनी तेज हुई और उनकी तरफ बढ़ने लगी। रामू और श्याम चीख पड़े।

रामू: "भाग श्याम, ये सचमुच चुड़ैल है!"

श्याम: "अरे, रुक! पहले लालटेन तो उठा ले!"

लेकिन रामू ने कुछ नहीं सुना। दोनों दौड़ते हुए अपने घर की तरफ भागे। रास्ते में कीचड़ में फिसलते, एक-दूसरे से टकराते, और चीखते रहे। गाँव वालों ने खिड़कियाँ खोलकर देखा, लेकिन अंधेरे में कुछ समझ नहीं आया।


सुबह हुई। बिजली वापस आ गई थी। रामू और श्याम फिर चौपाल पर बैठे थे। तभी गाँव का लाइनमैन मंगलू हँसता हुआ आया।

मंगलू: "क्या रामू, क्या श्याम, कल रात भागते क्यों थे?"

रामू: (शर्माते हुए) "अरे, कुछ नहीं। बस... हवा तेज थी।"

मंगलू: "हवा? अरे, वो तो मैं था। बरगद के पास तार ठीक कर रहा था। मेरी टॉर्च की रोशनी देखकर तुम दोनों भूत-भूत चिल्लाते हुए भागे!"

श्याम और रामू एक-दूसरे को देखकर हँस पड़े।

श्याम: "देखा रामू, मैंने कहा था न, भूत कुछ नहीं होता।"

रामू: "हाँ, पर अगली बार बिजली जाएगी, तो मैं घर में ही रहूँगा। चुड़ैल हो या मंगलू, डर तो लगता ही है!"



#2 टूटी सड़क और उड़ता ट्रैक्टर Flying Tractor Village Story in Hindi

Flying Tractor Village Story in Hindi


गाँव का नाम था रामपुर। वहाँ की सड़कें इतनी टूटी हुई थीं कि लोग कहते थे, "यहाँ गड्ढों में सड़क ढूंढनी पड़ती है।" इसी गाँव में रहता था श्यामू, एक नौजवान किसान, जिसके पास एक पुराना ट्रैक्टर था। श्यामू का ट्रैक्टर इतना खटारा था कि लोग उसे "उड़नखटोला" कहकर चिढ़ाते थे। लेकिन एक दिन इस उड़नखटोले ने सचमुच कमाल कर दिखाया।

एक सुबह श्यामू अपने खेत की ओर जा रहा था। ट्रैक्टर की सीट हिल रही थी, और टायरों से अजीब-अजीब आवाजें आ रही थीं। रास्ते में उसकी मुलाकात गाँव के चौधरी से हुई, जो अपनी बैलगाड़ी लिए खड़ा था।

चौधरी: "अरे श्यामू, कहाँ चला इस खटारा ट्रैक्टर के साथ? ये तो सड़क से पहले ही उड़ जाएगा!"
श्यामू: (हँसते हुए) "चौधरी जी, ये उड़नखटोला है। टूटी सड़क पर भी चल लेता है। आपकी बैलगाड़ी तो गड्ढे में अटक जाएगी।"
चौधरी: "देखते हैं बेटा, आज बारिश का पानी सड़क पर भरा है। तेरे ट्रैक्टर का इम्तिहान हो जाएगा।"

श्यामू ने ट्रैक्टर स्टार्ट किया और आगे बढ़ा। सड़क पर गड्ढों में पानी जमा था। एक बड़ा गड्ढा आया, और ट्रैक्टर का अगला टायर उसमें फंस गया। श्यामू ने गियर बदला, इंजन जोर से गरजा, और अचानक ट्रैक्टर हवा में उछल पड़ा। ऐसा लगा जैसे सचमुच उड़ रहा हो! गड्ढे के पार जाकर ट्रैक्टर धड़ाम से गिरा, लेकिन चलता रहा।

पीछे से चौधरी की आवाज आई, "अरे, ये तो सचमुच उड़नखटोला है!"

आगे गाँव की चौपाल पर लोग जमा थे। श्यामू का दोस्त मंगल भी वहाँ बैठा था। ट्रैक्टर को देखकर मंगल चिल्लाया।

मंगल: "श्यामू, ये क्या तमाशा है? तेरा ट्रैक्टर उड़ा कि कूदा?"
श्यामू: (मुस्कुराते हुए) "मंगल, टूटी सड़क का इलाज है मेरा उड़नखटोला। गड्ढों से डरता नहीं, उड़ जाता है।"
मंगल: "हाँ, पर गाँव की सड़कें कब ठीक होंगी? हर बार तो ट्रैक्टर उड़ा नहीं सकता!"
श्यामू: "सच कहता है। चल, चौपाल पर बात करते हैं। गाँव वालों को इकट्ठा करके सड़क ठीक करने का प्लान बनाते हैं।"

चौपाल पर श्यामू ने सबको अपनी "उड़ता ट्रैक्टर" वाली कहानी सुनाई। लोग हँसते-हँसते लोटपोट हो गए। फिर गाँव के बुजुर्ग रामू काका बोले।

रामू काका: "श्यामू, तेरा ट्रैक्टर तो कमाल है। पर सड़क का क्या? सरकार को चिट्ठी लिखते हैं कि नहीं?"
श्यामू: "काका, चिट्ठी लिखेंगे, पर पहले अपने गाँव से शुरुआत करें। सब मिलकर गड्ढे भरें, मिट्टी डालें। मेरा ट्रैक्टर तैयार है।"
मंगल: "हाँ, और अगर ट्रैक्टर फिर उड़ा तो हम सब वीडियो बनाएँगे। शायद सरकार भी देख ले!"

सब हँस पड़े। अगले दिन गाँव वाले इकट्ठा हुए। श्यामू का ट्रैक्टर मिट्टी ढोने में जुट गया। गड्ढे भरे गए, सड़क थोड़ी ठीक हुई। और हाँ, उस दिन से श्यामू का ट्रैक्टर सचमुच गाँव का "उड़नखटोला" बन गया। लोग कहते, "टूटी सड़क हो या भरा गड्ढा, श्यामू का ट्रैक्टर उड़कर पार कर जाता है!"


#3. पानी की जंग और चोर कौआ Water Problem Village Story

Water problem village story in hindi


एक छोटे से गाँव में पानी की बड़ी समस्या थी। गर्मियों में कुआँ सूख जाता था और नदी का पानी इतना गंदा था कि पीने लायक नहीं रहता था। गाँव वालों ने पंचायत बुलाई और तय किया कि पास के जंगल से पानी की पाइपलाइन बिछाई जाए। लेकिन उस जंगल में एक चालाक कौआ रहता था, जिसे गाँव वाले "चोर कौआ" कहते थे। ये कौआ हर बार गाँव की योजनाओं में टांग अड़ा देता था।

कहानी शुरू होती है...

स्थान: गाँव की चौपाल
समय: दोपहर का वक्त

पंचायत चल रही है। सरपंच रामलाल, किसान श्यामू, और गाँव की चुलबुली लड़की राधा बात कर रहे हैं।


रामलाल (सरपंच): सुनो भाइयो, जंगल से पानी लाना ही अब एकमात्र रास्ता है। पाइप बिछाएँगे, तो गर्मी में भी पानी मिलेगा।

श्यामू: ठीक कहते हो सरपंच जी, पर उस जंगल में वो चोर कौआ है। पिछले साल जब हमने अनाज रखा था, तो उसने सारा चुरा लिया।

राधा (हँसते हुए): अरे श्यामू चाचा, वो कौआ तो तुमसे भी चालाक है। क्या पता इस बार पाइप में छेद कर दे!

रामलाल: हँसी मजाक छोड़ो राधा। कल सुबह हम जंगल जाएँगे और पाइपलाइन शुरू करेंगे। सब तैयार रहना।


अगली सुबह, जंगल में...

गाँव वाले पाइप बिछा रहे थे। पाइपलाइन जंगल के एक छोटे झरने से शुरू होकर गाँव तक जा रही थी। तभी ऊपर पेड़ से एक कर्कश आवाज आई।

चोर कौआ (चिल्लाते हुए): कौन है मेरे जंगल में? ये पाइप क्या बला है?

श्यामू (गुस्से में): अरे, तू फिर आ गया? ये हमारे गाँव के लिए पानी लाने का रास्ता है। दूर रहियो!

चोर कौआ (हँसते हुए): पानी? अच्छा, तो मुझसे पूछा? ये जंगल मेरा है। मैं यहाँ का राजा हूँ।

राधा (चिढ़ाते हुए): राजा? तेरे पास तो ताज भी नहीं, बस काले पंख हैं। चल हट, हमें काम करने दे।

चोर कौआ: ठीक है, देखता हूँ तुम लोग क्या करते हो। लेकिन याद रखो, मुझसे उलझोगे तो पानी नहीं, मुसीबत आएगी।


रात का वक्त...

पाइपलाइन का काम आधा हो चुका था। गाँव वाले थककर सो गए। लेकिन चोर कौआ चुप नहीं बैठा। उसने अपने दोस्तों—एक लोमड़ी और एक गिलहरी—को बुलाया।

चोर कौआ: सुनो, इन गाँव वालों ने मेरे जंगल में पाइप बिछा दिया। अगर पानी गाँव चला गया, तो ये लोग रोज यहाँ आएँगे। हमारा राज खत्म!

लोमड़ी: तो क्या करें?

चोर कौआ: रात को पाइप में छेद कर दो। पानी बर्बाद होगा, और ये लोग हार मान लेंगे।

गिलहरी: ठीक है, मैं अपने दाँतों से छेद कर दूँगी।

रात भर कौआ, लोमड़ी, और गिलहरी ने पाइप में छोटे-छोटे छेद कर दिए। सुबह जब गाँव वाले आए, तो पानी चारों तरफ बिखरा पड़ा था।


सुबह, जंगल में...

श्यामू (चिल्लाते हुए): अरे ये क्या हुआ? सारा पानी बह गया! जरूर उस चोर कौए का काम है।

रामलाल: अब क्या करें? पानी तो चाहिए ही।

राधा (मुस्कुराते हुए): चाचा, घबराओ मत। मेरे पास एक तरकीब है।

राधा ने एक बड़ा सा डिब्बा लिया और उसमें चमकीले पत्थर भर दिए। फिर उसे पेड़ के पास रख दिया।

चोर कौआ (उत्सुक होकर): ये क्या चमक रहा है?

राधा: अरे कौआ भैया, ये खजाना है। अगर तू हमारे पाइप को छूना छोड़ दे, तो ये तेरा।

चोर कौआ (लालच में): खजाना? ठीक है, ले लो अपना पानी। मुझे ये चमकीले पत्थर दो।


अंत...

गाँव वालों ने पाइप ठीक किया और पानी गाँव तक पहुँच गया। चोर कौआ अपने "खजाने" में मस्त हो गया, जो असल में बस काँच के टुकड़े थे। राधा की चालाकी से गाँव की पानी की जंग जीत गई, और चोर कौआ हारा हुआ लालची बनकर रह गया।

राधा (हँसते हुए): देखा चाचा, कौए से भी चालाक कोई हो सकता है!

श्यामू: हाँ राधा, तू तो गाँव की शेरनी है!

और इस तरह गाँव में पानी आया, और चोर कौआ अपनी चाल में फँस गया।


#4. गाँव का स्कूल और मास्टरजी का जादू Village School Master Story in Hindi

Village School master story in hindi


गंगा किनारे बसा था छोटा-सा गाँव रमपुरा। गाँव में एक स्कूल था, जो पुरानी हवेली से कम नहीं लगता था। दीवारें टूटी हुईं, छत से पानी टपकता, और बेंचें ऐसी कि बैठते ही चरमराहट शुरू हो जाए। फिर भी, बच्चे रोज़ स्कूल आते थे, क्योंकि वहाँ पढ़ाते थे मास्टरजी—रामप्रसाद शर्मा। गाँव वाले कहते थे कि मास्टरजी के पास जादू है। और सचमुच, एक दिन ऐसा हुआ कि सबको यकीन हो गया।

कहानी शुरू होती है...

एक सुबह मास्टरजी स्कूल पहुँचे तो देखा कि बच्चे बाहर खड़े हैं। स्कूल का दरवाज़ा टूटा पड़ा था। पिछले दिन की बारिश ने छत को और कमज़ोर कर दिया था। बच्चे शोर मचा रहे थे।

मुन्ना: (हँसते हुए) "मास्टरजी, आज तो स्कूल बंद! छत गिरने वाली है।"
रानी: "हाँ मास्टरजी, अब तो छुट्टी ही छुट्टी!"
मास्टरजी: (गंभीर होकर) "अरे, स्कूल बंद कैसे हो सकता है? पढ़ाई तो जादू है, और जादू कहीं भी हो सकता है।"

बच्चे एक-दूसरे को देखकर हँसने लगे। जादू? मास्टरजी फिर क्या बोल रहे हैं?

मुन्ना: "मास्टरजी, जादू से छत ठीक कर देंगे क्या?"
मास्टरजी: (मुस्कुराते हुए) "क्यों नहीं? पर इसके लिए तुम सबकी मदद चाहिए। चलो, मेरे साथ!"

मास्टरजी ने बच्चों को लेकर गाँव की चौपाल की ओर चल पड़े। रास्ते में वो बोले, "पढ़ाई सिर्फ किताबों में नहीं, ज़िंदगी में होती है। आज हम स्कूल को नया बनाएँगे।"

चौपाल पर सभा

चौपाल पर मास्टरजी ने गाँव वालों को बुलाया। वहाँ पंचायत चल रही थी। सरपंच रामलाल, किसान श्यामू, और दुकानदार लल्लन भी आए।

मास्टरजी: "सरपंच जी, ये स्कूल गाँव का भविष्य है। छत टूट रही है, दरवाज़ा गिर गया है। क्या हम इसे ठीक नहीं कर सकते?"
सरपंच: (सिर खुजाते हुए) "मास्टरजी, पैसा कहाँ से आएगा? सरकार से चिट्ठी लिखी थी, जवाब नहीं आया।"
श्यामू: "हाँ, और हमारी फसल भी सूख रही है। पहले पानी का इंतज़ाम हो!"
लल्लन: "मैं तो कहता हूँ, बच्चों को मेरी दुकान पर भेज दो, चाय बनाना सीख लेंगे।"

मास्टरजी ने सबकी बात सुनी और फिर अपनी जेब से एक पुरानी किताब निकाली। उसमें कुछ लिखा हुआ था।

मास्टरजी: "ये मेरे बाबूजी की किताब है। इसमें लिखा है—'गाँव की ताकत उसकी एकता में है।' अब देखो मेरा जादू!"

मास्टरजी का जादू

मास्टरजी ने बच्चों को काम बाँट दिया। मुन्ना और रानी को कहा कि गाँव के हर घर से एक-एक ईंट माँगकर लाओ। छोटू को भेजा मिट्टी लाने। गीता और सोनू को पानी ढोने का काम मिला। गाँव वाले हैरान थे कि मास्टरजी क्या करने वाले हैं।

दोपहर तक चौपाल पर ईंटों का ढेर लग गया। मास्टरजी ने सरपंच से कहा, "अब आप सब मिलकर स्कूल की छत बनाओ। मैं बच्चों को पढ़ाऊँगा।"

सरपंच: (हैरानी से) "मास्टरजी, ये जादू कैसे हुआ? ईंटें तो हमने दीं!"
मास्टरजी: (हँसते हुए) "यही तो जादू है, सरपंच जी। मैंने कुछ नहीं किया, आप सबने किया। बच्चों ने गाँव को जोड़ा, और गाँव ने स्कूल को बचाया।"

अगला दिन

अगली सुबह स्कूल की छत तैयार थी। गाँव वालों ने रातभर मेहनत की थी। बच्चे खुशी से चिल्ला रहे थे।

रानी: "मास्टरजी, आप सच में जादूगर हैं!"
मुन्ना: "हाँ, पर ये जादू तो हमने भी किया न?"
मास्टरजी: "बिल्कुल! असली जादू तुम सब में है। जब गाँव एक हो जाता है, तो हर समस्या हल हो जाती है।"

उस दिन से रमपुरा में एक कहावत चल पड़ी—"मास्टरजी का जादू, गाँव की ताकत से शुरू।" और स्कूल फिर कभी टूटा नहीं, क्योंकि अब हर गाँव वाला उसका रखवाला था।


#5. भैंस चोरी और गाँव का जासूस Jasoos Story in Hindi

Chori aur Jasoos Story in Hindi


गाँव का नाम था रामपुर। वहाँ की सबसे मशहूर चीज़ थी रमेश की भैंस, जिसका नाम था गुलाबो। गुलाबो का दूध इतना गाढ़ा और स्वादिष्ट था कि गाँव के लोग उसकी तारीफ में कसीदे पढ़ते थे। लेकिन एक सुबह रमेश का चेहरा लटका हुआ था। गुलाबो गायब हो गई थी!

रमेश ने गाँव में हल्ला मचाया, "मेरी गुलाबो चोरी हो गई! कोई तो मदद करो!" गाँव वाले इकट्ठा हो गए। तभी गाँव का सबसे नटखट लड़का, छोटू, आगे आया। छोटू को लोग "गाँव का जासूस" कहते थे, क्योंकि वो हर छोटी-बड़ी बात की तह तक जाता था।


संवाद:

रमेश: (रोते हुए) छोटू, मेरी गुलाबो को ढूंढ दो! वो मेरी जान है।
छोटू: (हाथ में लकड़ी का डंडा घुमाते हुए) चाचा, फिकर नॉट! मैं हूँ ना। पहले बताओ, रात को कुछ सुना?
रमेश: हाँ, कुछ खटपट की आवाज़ आई थी, लेकिन मैंने सोचा शायद कुत्ता होगा।
छोटू: (आँखें सिकोड़ते हुए) कुत्ता? गुलाबो को कुत्ता नहीं ले जा सकता। ये चोर का काम है। कोई सुराग?
रमेश: हाँ, गोशाले के पास कीचड़ में एक जूते का निशान है।
छोटू: (जासूसी अंदाज़ में) बढ़िया! चलो, वो निशान देखते हैं।


छोटू गोशाले के पास पहुँचा। कीचड़ में जूते का निशान साफ दिख रहा था। पास ही एक टूटी हुई रस्सी भी पड़ी थी। छोटू ने निशान को गौर से देखा और बोला, "ये जूता तो बड़ा है। गाँव में ऐसे जूते पहनने वाला कोई ढाई फुट का गुंडा होगा।"

छोटू ने अपने दोस्त बबलू को बुलाया। बबलू गाँव का सबसे तेज़ दौड़ने वाला लड़का था।


संवाद:

छोटू: बबलू, तू गाँव के हर कोने में जा और देख कि कौन लंबा-चौड़ा आदमी आज सुस्त दिख रहा है। चोर रात भर गुलाबो को खींचता रहा होगा, थक गया होगा।
बबलू: (हँसते हुए) ठीक है, जासूस साहब! मैं अभी पता लगाता हूँ।
छोटू: और हाँ, अगर कोई भैंस का दूध पीते दिखे, तो उस पर नज़र रखना।


बबलू गाँव में दौड़ पड़ा। कुछ देर बाद वो हाँफते हुए वापस आया।


संवाद:

बबलू: छोटू, मंगल चाचा आज सुबह से अपनी चौपाल पर लेटे हुए हैं। कह रहे हैं कि कमर में दर्द है। और उनके पास एक बड़ा गिलास दूध भी था!
छोटू: (हाथ मलते हुए) मंगल चाचा, हाँ? वो तो गुलाबो का दूध चुराकर बेचने की बात करते थे। चल, चलें!


छोटू और बबलू मंगल चाचा की चौपाल पर पहुँचे। मंगल चाचा सचमुच लेटे थे, लेकिन उनके जूते कीचड़ से सने थे। छोटू ने पास जाकर देखा—जूते का निशान वही था जो गोशाले के पास मिला था।


संवाद:

छोटू: (गंभीर आवाज़ में) मंगल चाचा, ये कीचड़ कहाँ से आया? और ये दूध कहाँ से पिया?
मंगल: (हड़बड़ाते हुए) अरे, छोटू, ये तो... मैं रात को खेत में गिर गया था। दूध अपनी भैंस का है।
छोटू: (हँसते हुए) अपनी भैंस? चाचा, आपकी भैंस तो दो साल पहले बिक गई थी। सच बताओ, गुलाबो कहाँ है?
मंगल: (घबराते हुए) अरे... वो... पास के जंगल में बाँध रखी है। मैं बस मज़ाक कर रहा था।


छोटू और बबलू जंगल की ओर दौड़े। वहाँ गुलाबो एक पेड़ से बँधी हुई रंभाती मिली। रमेश ने गुलाबो को गले लगाया और छोटू की पीठ थपथपाई। गाँव वालों ने मंगल चाचा को पंचायत में पेश किया, जहाँ उसने माफी माँगी और एक महीने तक गाँव की सफाई करने की सजा पाई।

छोटू ने हँसते हुए कहा, "गाँव का जासूस कभी फेल नहीं होता!" गाँव में उस दिन खूब हँसी-ठिठोली हुई, और गुलाबो का दूध सबने मिलकर पिया।


#6. कुएँ का भूत और प्यासा गाँव (Kuye Ka Bhoot Aur Pyasa Gaanv Kahani)


Kuye Ka Bhoot Aur Pyasa Gaanv Kahani


एक छोटा सा गाँव था, नाम था सुखापुर। नाम के उलट, गाँव में पानी की भारी किल्लत थी। गर्मियों में तो हालत और खराब हो जाती थी। गाँव का एकमात्र कुआँ भी सूख गया था। लोग दूर-दूर तक पानी लेने जाते, पर थकान और प्यास से सब परेशान थे। लेकिन एक दिन, गाँव में अजीब सी अफवाह फैली कि कुएँ में कोई भूत रहता है, जो पानी को छुपा रहा है।

कहानी शुरू होती है...

शाम का वक्त था। गाँव की चौपाल पर कुछ लोग जमा थे। रामू, एक नौजवान किसान, अपनी प्यास से तंग आकर बोला।

रामू: "अरे भाइयों, ये कुआँ तो सालों से सूखा पड़ा है। पर कल रात मुझे कुछ अजीब सी आवाजें सुनाई दीं। लगता है कोई भूत है जो पानी नहीं आने देता।"

श्यामू (हँसते हुए): "रामू, तू तो डरपोक है। भूत-वूत कुछ नहीं होता। कुआँ सूखा है, बस इतनी सी बात है।"

चाचा चौधरी (गंभीर होकर): "नहीं श्यामू, बात में दम है। मेरे दादाजी कहते थे कि इस कुएँ में पुराने जमाने का एक साधु रहता था। उसने श्राप दिया था कि जब तक गाँव वाले उसकी इज्जत न करें, पानी नहीं मिलेगा।"

ललिता (हैरानी से): "तो चाचा, अब हम क्या करें? भूत को बुलाएँ और पानी माँगें?"

रामू: "हाँ, क्यों नहीं? आज रात हम सब कुएँ पर चलते हैं। देखते हैं ये भूत है या हवा का झोंका।"


रात के बारह बजे, गाँव के कुछ नौजवान और चाचा चौधरी कुएँ के पास पहुँचे। चारों तरफ सन्नाटा था। अचानक हवा तेज हुई और कुएँ से एक धीमी सी आवाज आई, "कौन है वहाँ?"

सब डर गए। रामू ने हिम्मत करके जवाब दिया।

रामू: "हम... हम सुखापुर के लोग हैं। हमें पानी चाहिए। आप कौन हैं?"

आवाज (गहरी और रहस्यमयी): "मैं हूँ इस कुएँ का रखवाला। तुम लोग सालों से कुएँ की सफाई नहीं करते, पूजा नहीं करते। मेरे पानी की कदर क्यों करूँ मैं?"

चाचा चौधरी (हाथ जोड़कर): "बाबा, माफ करें। हमारी गलती हुई। अब से हम कुएँ की देखभाल करेंगे। बस पानी दे दो, गाँव प्यासा मर रहा है।"

आवाज: "हम्म... ठीक है। एक शर्त है। कल सुबह तुम सब मिलकर कुएँ की सफाई करो और मेरे लिए एक छोटी सी पूजा करो। फिर देखो चमत्कार।"


सब लोग डरे-सहमे घर लौट आए। अगली सुबह गाँव वालों ने मिलकर कुएँ की सफाई शुरू की। पुराने पत्ते, कचरा, और गंदगी हटाई। ललिता और कुछ औरतों ने फूल-माला चढ़ाई और दीया जलाया। शाम तक सब थक गए थे। तभी रामू ने कुएँ में झाँका और चिल्लाया।

रामू: "अरे, देखो! पानी! पानी ऊपर आ रहा है!"

सब दौड़कर कुएँ के पास आए। सचमुच, कुआँ पानी से भर रहा था। श्यामू ने हँसते हुए कहा।

श्यामू: "लगता है भूत को हमारी मेहनत पसंद आ गई।"

ललिता: "या फिर ये भूत कोई बहाना था, असली चमत्कार तो हमारी एकजुटता से हुआ।"

चाचा चौधरी (मुस्कुराते हुए): "जो भी हो, अब से कुएँ की इज्जत करेंगे। भूत हो या न हो, पानी तो मिल गया।"


उस दिन से सुखापुर में पानी की कमी नहीं रही। लोग कहते हैं कि कुएँ का भूत अब खुश है और चुपचाप गाँव की रखवाली करता है। गाँव वालों ने भी सबक सीख लिया कि मेहनत और सम्मान से हर समस्या हल हो सकती है।

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